Pro Sarkari Result

MOCK TEST

“भारत का संविधान: हमारे अधिकार और कर्तव्य”
“The Constitution of India: Our Rights and Duties

भारतीय संविधान के सभी भाग और अनुच्छेद


भाग I: संघ और राज्य (अनुच्छेद 1-4)

  • अनुच्छेद 1 – भारत का संघ
  • अनुच्छेद 2 – नए राज्य का निर्माण
  • अनुच्छेद 3 – राज्यों का विभाजन
  • अनुच्छेद 4 – राज्यों के बारे में संशोधन

भाग II: नागरिकता (अनुच्छेद 5-11)

  • अनुच्छेद 5 – भारत में नागरिकता
  • अनुच्छेद 6 – पाकिस्तान से भारत में आए लोगों की नागरिकता
  • अनुच्छेद 7 – पाकिस्तान से भारत में आकर बसे लोगों की नागरिकता
  • अनुच्छेद 8 – भारतीय नागरिकों के लिए नागरिकता
  • अनुच्छेद 9 – किसी व्यक्ति का दुबारा नागरिकता प्राप्त करना
  • अनुच्छेद 10 – नागरिकता की सुरक्षा
  • अनुच्छेद 11 – संसद का नागरिकता पर नियंत्रण

भाग III: मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35)

  • अनुच्छेद 12 – राज्य द्वारा अधिकारों का उल्लंघन
  • अनुच्छेद 13 – कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन
  • अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार
  • अनुच्छेद 15 – भेदभाव का निषेध
  • अनुच्छेद 16 – रोजगार में समान अवसर
  • अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का निषेध
  • अनुच्छेद 18 – भेदभाव के खिलाफ संरक्षण
  • अनुच्छेद 19 – स्वतंत्रता के अधिकार
  • अनुच्छेद 20 – अपराधों से सुरक्षा
  • अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  • अनुच्छेद 22 – व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
  • अनुच्छेद 23 – मानव व्यापार, बंधुआ मज़दूरी और अन्य जुल्मों का निषेध
  • अनुच्छेद 24 – बच्चों के श्रम का निषेध
  • अनुच्छेद 25 – धर्म की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 26 – धर्म और धर्मस्थलों का प्रबंधन
  • अनुच्छेद 27 – करों से धार्मिक संस्थाओं को छूट
  • अनुच्छेद 28 – शिक्षा में धार्मिक प्रभाव का निषेध
  • अनुच्छेद 29 – सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
  • अनुच्छेद 30 – अल्पसंख्यक संस्थाओं के अधिकार
  • अनुच्छेद 31 – संपत्ति के अधिकार
  • अनुच्छेद 32 – उच्चतम न्यायालय में मौलिक अधिकारों का संरक्षण
  • अनुच्छेद 33 – संसद द्वारा मौलिक अधिकारों का संशोधन
  • अनुच्छेद 34 – आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन
  • अनुच्छेद 35 – मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए संसद का अधिकार

भाग IV: नीति निदेशक तत्व (अनुच्छेद 36-51)

  • अनुच्छेद 36 – नीति निदेशक तत्वों की परिभाषा
  • अनुच्छेद 37 – नीति निदेशक तत्वों का अनुपालन
  • अनुच्छेद 39 – राज्य का कर्तव्य
  • अनुच्छेद 41 – राज्य का नागरिकों के कल्याण के लिए कर्तव्य
  • अनुच्छेद 42 – कामकाजी परिस्थितियों में सुधार
  • अनुच्छेद 43 – मजदूरी का अधिकार
  • अनुच्छेद 44 – समान नागरिक संहिता
  • अनुच्छेद 45 – बच्चों की शिक्षा का अधिकार
  • अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जातियों और जनजातियों का कल्याण
  • अनुच्छेद 47 – पोषण और स्वास्थ्य का सुधार
  • अनुच्छेद 48 – कृषि और पशुपालन का सुधार
  • अनुच्छेद 49 – सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा
  • अनुच्छेद 50 – न्यायिक और कार्यपालिका का पृथक्करण
  • अनुच्छेद 51 – अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा

भाग 5: संघ (अनुच्छेद 52-151)

भाग V भारतीय संविधान का वह भाग है जो भारत संघ के संरचना, शक्तियों और कार्यों को निर्धारित करता है। इसमें संघ के कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका के ढांचे और कार्यों का उल्लेख किया गया है।

अनुच्छेद 52: भारत के राष्ट्रपति

  • अनुच्छेद 52 के अनुसार, भारत का एक राष्ट्रपति होगा।
  • राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, और यह पद भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक है।

अनुच्छेद 53: संघ की कार्यपालिका शक्ति

  • संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है और इसे वह सीधे या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से संविधान के अनुसार कार्यान्वित करते हैं।

अनुच्छेद 54: राष्ट्रपति का निर्वाचन

  • राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानसभाओं तथा संघ क्षेत्र की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

अनुच्छेद 55: राष्ट्रपति के चुनाव की विधि

  • यह अनुच्छेद राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को निर्धारित करता है।

अनुच्छेद 56: राष्ट्रपति का कार्यकाल

  • राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है और वह फिर से चुनाव लड़ने के लिए पात्र होते हैं।

अनुच्छेद 57: राष्ट्रपति का पुनः चुनाव

  • राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने पर पुनः चुनाव के लिए पात्र होते हैं।

अनुच्छेद 58: राष्ट्रपति के चुनाव के लिए योग्यताएँ

  • राष्ट्रपति भारतीय नागरिक होना चाहिए, उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए, और वह लोकसभा का सदस्य बनने के लिए योग्य होना चाहिए।

अनुच्छेद 59: राष्ट्रपति के पद की शर्तें

  • राष्ट्रपति संसद या किसी राज्य या संघ क्षेत्र की विधानमंडल के सदस्य नहीं हो सकते हैं।

अनुच्छेद 60: राष्ट्रपति द्वारा शपथ या संकल्प

  • राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पहले शपथ लेते हैं जिसमें वे भारतीय संविधान की रक्षा और पालन करने का वचन देते हैं।

अनुच्छेद 61: राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया

  • राष्ट्रपति को संविधान का उल्लंघन करने के कारण महाभियोग द्वारा पद से हटा सकते हैं। इसके लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

अनुच्छेद 62: राष्ट्रपति के पद की रिक्तता को भरने के लिए चुनाव का समय

  • राष्ट्रपति की मृत्यु या त्यागपत्र के कारण रिक्तता को भरने के लिए चुनाव छह महीने के भीतर होना चाहिए।

अनुच्छेद 63: भारत के उपराष्ट्रपति

  • भारत का उपराष्ट्रपति राज्य का उपप्रधान होता है और राज्यसभा का अध्यक्ष होता है। वह राष्ट्रपति के अनुपस्थिति में उनके कार्यों को करता है।

अनुच्छेद 64: उपराष्ट्रपति का कार्यकाल

  • उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है और वह पुनः चुनाव के लिए पात्र होते हैं।

अनुच्छेद 66: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन

  • उपराष्ट्रपति का चुनाव दोनों सदनों के सदस्य द्वारा किया जाता है।

अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति के कार्यों और शक्तियों

  • उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वाह करते हैं।

अनुच्छेद 69: उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ

  • उपराष्ट्रपति भी राष्ट्रपति की तरह पद ग्रहण करने से पहले शपथ लेते हैं।

अनुच्छेद 72: राष्ट्रपति को दया, क्षमा, और सजा की माफी देने का अधिकार

  • राष्ट्रपति को दया, क्षमा, क्षणिक राहत, या सजा माफ करने का अधिकार है। वे किसी अपराधी की सजा को स्थगित, माफ, या बदल सकते हैं।

अनुच्छेद 73: संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार

  • संघ की कार्यपालिका शक्ति उन सभी मामलों में विस्तारित होती है जिनके लिए संसद के पास कानून बनाने की शक्ति होती है।

अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल की सहायता और सलाह

  • राष्ट्रपति अपने कार्यों में मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करते हैं, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।

अनुच्छेद 75: मंत्रियों के अन्य प्रावधान

  • इस अनुच्छेद में प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति, उनकी योग्यताएँ और जिम्मेदारियाँ निर्धारित की जाती हैं।

अनुच्छेद 79: संसद का गठन

  • भारतीय संसद राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनती है: लोकसभा (जनता का सदन) और राज्यसभा (राज्यों का सदन)।

अनुच्छेद 80: राज्यसभा का गठन

  • राज्यसभा के सदस्य राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य और संघ क्षेत्रों के विधानमंडल के निर्वाचित सदस्य होते हैं।

अनुच्छेद 81: लोकसभा का गठन

  • लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से चुने जाते हैं।

अनुच्छेद 82: हर जनगणना के बाद पुनःनिर्धारण

  • हर जनगणना के बाद लोकसभा की कुल सीटों की संख्या को पुनः निर्धारित किया जाता है।

अनुच्छेद 83: संसद का कार्यकाल

  • लोकसभा के सदस्य 5 वर्षों के लिए चुने जाते हैं, और राज्यसभा का कार्यकाल निरंतर होता है।

अनुच्छेद 84: संसद के सदस्य बनने के लिए योग्यताएँ

  • संसद के सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को भारतीय नागरिक होना चाहिए, और उसकी आयु 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

अनुच्छेद 85: संसद के सत्र, स्थगन और विघटन

  • राष्ट्रपति संसद का सत्र बुलाते हैं, उसे स्थगित करते हैं, और लोकसभा को विघटित कर सकते हैं।

अनुच्छेद 86: राष्ट्रपति का संसद को संबोधित करने का अधिकार

  • राष्ट्रपति को संसद को संबोधित करने और दोनों सदनों को संदेश भेजने का अधिकार होता है।

अनुच्छेद 87: राष्ट्रपति द्वारा विशेष संबोधन

  • राष्ट्रपति प्रत्येक सामान्य चुनाव के बाद और प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र में संसद को संबोधित करते हैं।

अनुच्छेद 88: राष्ट्रपति के पास संसद में पत्र भेजने का अधिकार

  • राष्ट्रपति को संसद में पत्र भेजने और दोनों सदनों को संदेश देने का अधिकार है। यह उनका अधिकार है कि वे संविधान के तहत अपने कार्यों को नियंत्रित करते हुए संसद को आवश्यक निर्देश भेज सकते हैं।

अनुच्छेद 89: राज्यसभा का कार्यकाल और पुनर्निर्धारण

  • राज्यसभा के सदस्य प्रत्येक दो वर्षों के बाद एक तिहाई सदस्य अवकाश लेते हैं। उनके स्थान पर नए सदस्य चुने जाते हैं। राज्यसभा का कार्यकाल निरंतर होता है, और यह किसी भी विधि से विघटित नहीं होती।

अनुच्छेद 90: राष्ट्रपति की कार्यवाही से संसद का विघटन

  • राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को या किसी एक सदन को विघटित कर सकते हैं, जिससे चुनाव होते हैं और नए सदस्य चुने जाते हैं।

अनुच्छेद 91: लोकसभा का कार्यकाल और पुनर्निर्धारण

  • लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, और यदि इसे बीच में विघटित किया जाता है तो चुनाव फिर से होते हैं। लोकसभा के सदस्य आम चुनाव द्वारा चुने जाते हैं।

अनुच्छेद 92: सांसदों को भत्ते और सुविधाएँ

  • सांसदों को उनके कार्यकाल के दौरान कुछ भत्ते और सुविधाएँ दी जाती हैं, जैसे वेतन, भत्ते और अन्य वित्तीय लाभ जो उनके कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं।

अनुच्छेद 93: लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष

  • लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष उसके कार्यों के संचालन में सहायक होते हैं। अध्यक्ष लोकसभा के संचालन में निष्पक्षता बनाए रखते हैं और इसके हर निर्णय की निगरानी करते हैं।

अनुच्छेद 94: राज्यसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष

  • राज्यसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भूमिका राज्यसभा के संचालन और निर्णयों में महत्वपूर्ण होती है। अध्यक्ष राज्यसभा की बैठक की अध्यक्षता करते हैं।

अनुच्छेद 95: राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के अध्यक्ष की नियुक्ति

  • राष्ट्रपति लोकसभा के अध्यक्ष को नियुक्त करते हैं, जो सभी कार्यों का नेतृत्व करते हैं और लोकसभा के संपूर्ण कार्यवाही को नियंत्रित करते हैं।

अनुच्छेद 96: राज्यों और संघों के बीच संबंध

  • अनुच्छेद 96 राज्यों और संघों के बीच संबंधों के बारे में नियम और कानून निर्धारित करता है, ताकि संघीय संरचना में सामंजस्य बना रहे और राज्यों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।

अनुच्छेद 97: संकल्प और मतदान प्रक्रिया

  • संविधान में संकल्प, मतदान और निर्णय प्रक्रिया से संबंधित तरीके और नियम दिए गए हैं, ताकि दोनों सदनों के निर्णय और कार्यवाही निष्पक्ष और सुव्यवस्थित तरीके से हो।

अनुच्छेद 98: संविधान संशोधन की प्रक्रिया

  • भारतीय संविधान में आवश्यकतानुसार संशोधन किए जा सकते हैं, और इसके लिए संसद में विशेष प्रक्रिया और मत की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया संविधान के स्थायित्व और अद्यतनता को सुनिश्चित करती है।

अनुच्छेद 99: विधायिका और कार्यपालिका के बीच संबंध

  • विधायिका और कार्यपालिका के बीच स्पष्ट संबंध और सीमा निर्धारित की जाती है ताकि दोनों शक्तियाँ संविधान के भीतर कार्य करें और एक दूसरे का काम प्रभावित न करें।

अनुच्छेद 100: राज्यसभा की कार्यवाही और वोटिंग

  • राज्यसभा में वोटिंग, निर्णय प्रक्रिया और कार्यवाही का संचालन स्पष्ट रूप से इस अनुच्छेद के तहत किया जाता है। यह राज्यसभा के प्रभावी संचालन के लिए आवश्यक प्रावधान करता है।

अनुच्छेद 101: लोकसभा का असाधारण सत्र

  • लोकसभा के असाधारण सत्र बुलाने के संबंध में नियम और शर्तें निर्धारित की जाती हैं, ताकि इसे संविधान के तहत सही ढंग से चलाया जा सके।

अनुच्छेद 102: संसद के सदस्यों की योग्यता और अयोग्यता

  • इस अनुच्छेद के अंतर्गत उन सांसदों की योग्यता और अयोग्यता निर्धारित की जाती है जो किसी भी कारणवश संसद के सदस्य नहीं हो सकते।

अनुच्छेद 103: चुनावी विवाद समाधान

  • इस अनुच्छेद में यह बताया गया है कि यदि किसी चुनाव को लेकर विवाद उत्पन्न होता है, तो इसे कैसे हल किया जाएगा, और कौन सी संस्था इसमें निर्णय लेगी।

अनुच्छेद 104: संसद के सदस्य द्वारा अपराधों से जुड़ी स्थिति

  • अगर किसी सांसद द्वारा अपराध किए जाते हैं, तो उन्हें संविधान के तहत कुछ विशेष प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। इस अनुच्छेद के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि संसद में ऐसे लोग नहीं रहें जो सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार फैलाने में शामिल हों।

अनुच्छेद 105: संसद के सदस्यों के अधिकार

  • संसद के प्रत्येक सदस्य को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे स्वतंत्र रूप से बोलने, सवाल पूछने और अन्य लोकतांत्रिक कार्यों में हिस्सा लेने का अधिकार।

अनुच्छेद 106: वित्तीय अधिकार

  • संसद को यह अधिकार है कि वह वित्तीय मामलों में निर्णय लें, जिसमें करों का निर्धारण और वित्तीय विधियों को लागू करना शामिल है।

अनुच्छेद 107: संसद का कामकाजी समय

  • इस अनुच्छेद में संसद के कामकाजी समय और सत्रों के संचालन से संबंधित विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि संसद का कार्य समय पर संपन्न हो सके।

अनुच्छेद 108: संयुक्त सत्र

  • यदि लोकसभा और राज्यसभा में किसी विधेयक को लेकर मतभेद हो, तो राष्ट्रपति एक संयुक्त सत्र बुला सकते हैं, जहां दोनों सदन के सदस्य मिलकर एक साथ विचार करेंगे और अंतिम निर्णय लेंगे।

अनुच्छेद 109: विधायिका की शक्तियाँ और सीमा

  • भारतीय विधायिका की शक्तियों और कार्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, ताकि संसद किसी भी विषय पर कानून बना सके और संविधान के दायरे में रहे।

अनुच्छेद 110: विधेयक और प्रक्रिया

  • इस अनुच्छेद के तहत, कानून बनाने की प्रक्रिया को निर्दिष्ट किया गया है, जिसमें विधेयकों का प्रस्तुत करना, उनका विचार और पारित करना शामिल है।

अनुच्छेद 111: राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर हस्ताक्षर

  • राष्ट्रपति को किसी विधेयक पर हस्ताक्षर करने का अधिकार होता है। अगर राष्ट्रपति विधेयक को अस्वीकार करते हैं, तो वह इसे पुनः विचार के लिए भेज सकते हैं।

अनुच्छेद 112: वित्तीय विधेयक

  • यह अनुच्छेद वित्तीय विधेयकों से संबंधित नियम और प्रक्रियाएँ निर्धारित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय बिल सही तरीके से पेश किए जाएं और संसद द्वारा स्वीकृत हों।

अनुच्छेद 113: आपातकालीन वित्तीय प्रावधान

  • आपातकालीन परिस्थितियों में संसद द्वारा वित्तीय प्रावधान किए जा सकते हैं, जो सामान्य समय में संभव नहीं होते हैं।

अनुच्छेद 114: विधायिका द्वारा अनुमोदन

  • सभी सरकारी खर्चों को विधायिका द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक होता है, और यह संविधान के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।

अनुच्छेद 115: विशेष वित्तीय अनुमोदन

  • जब किसी विशेष वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता होती है, तो संसद द्वारा अनुमोदन प्राप्त किया जाता है, ताकि संघीय सरकार विशेष खर्चों को पूरी कर सके।

अनुच्छेद 116: पुनः वित्तीय बिल

  • इस अनुच्छेद के तहत वित्तीय विधेयक के पुनः विचार की प्रक्रिया और विधायिका द्वारा आवश्यक संशोधन किए जाते हैं।

अनुच्छेद 117: स्थानीय करों का निर्धारण

  • संविधान में यह अनुच्छेद स्थानीय करों के निर्धारण की प्रक्रिया से संबंधित है, जो राज्य और संघ के बीच वित्तीय समन्वय को सुनिश्चित करता है।

अनुच्छेद 118: संसद का निर्देश

  • संसद को अपने कार्यों की सफलता और कानूनी प्रक्रियाओं के संचालन के लिए निर्देश देने का अधिकार होता है, ताकि सभी काम संविधान के अनुसार पूरी तरह से किए जाएं।

अनुच्छेद 119: संसद का आंतरिक संगठन और प्रक्रिया

  • संसद को अपनी आंतरिक कार्यवाही के संचालन के लिए नियम बनाने का अधिकार है। यह अनुच्छेद संसद की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि विधायिका के भीतर सभी कार्यों का संचालन संविधान और निर्धारित नियमों के अनुसार हो।

अनुच्छेद 120: संसद की बैठकें

  • संसद की बैठकों का आयोजन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि संसद के सत्र और बैठकें संविधान के अनुसार नियोजित और नियमित रूप से आयोजित हों।

अनुच्छेद 121: न्यायपालिका और विधायिका के बीच सम्मान

  • इस अनुच्छेद के तहत, यह सुनिश्चित किया जाता है कि संसद के किसी भी सदस्य या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा न्यायालय की कार्यवाही पर टिप्पणी या हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। यह दोनों संस्थाओं के बीच सम्मान और स्वायत्तता बनाए रखने के लिए जरूरी है।

अनुच्छेद 122: संसद की कार्यवाही पर न्यायिक समीक्षा

  • यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है कि संसद के कार्यों और कार्यवाही पर न्यायालय कोई निर्णय नहीं ले सकता, बशर्ते यह कार्य संविधान के उल्लंघन में न हो। यह न्यायपालिका और विधायिका के बीच स्पष्ट सीमा निर्धारित करता है।

अनुच्छेद 123: राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश की शक्ति

  • राष्ट्रपति को संसद के सत्र के बीच में कानून बनाने के लिए अध्यादेश जारी करने का अधिकार होता है, जब वह इसे आवश्यक समझते हैं। हालांकि, यह अध्यादेश केवल 6 महीने तक प्रभावी रहता है और इसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

अनुच्छेद 124: उच्चतम न्यायालय का गठन

  • इस अनुच्छेद के अनुसार, भारतीय उच्चतम न्यायालय का गठन किया जाता है। यह न्यायालय भारतीय न्यायपालिका की सर्वोच्च संस्था है, और यह संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने का कार्य करता है।

अनुच्छेद 125: न्यायमूर्ति का वेतन और भत्ते

  • उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। यह अनुच्छेद उनके वेतन और भत्तों की सुरक्षा प्रदान करता है।

अनुच्छेद 126: कार्यवाहक न्यायमूर्ति

  • यदि उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति की स्थिति रिक्त हो जाती है या वे किसी कारणवश कार्य नहीं कर सकते, तो राष्ट्रपति को कार्यवाहक न्यायमूर्ति नियुक्त करने का अधिकार होता है।

अनुच्छेद 127: एक अस्थायी न्यायाधीश की नियुक्ति

  • उच्चतम न्यायालय में अस्थायी रूप से एक अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति की जा सकती है यदि यह संविधान की आवश्यकता के तहत किया जाता है।

अनुच्छेद 128: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में रिटायरमेंट

  • उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाते हैं, और उन्हें किसी अन्य पद पर नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं होता।

अनुच्छेद 129: उच्चतम न्यायालय का अधिकार

  • उच्चतम न्यायालय को किसी भी प्रकार के उल्लंघन, असंवैधानिक या गलत कार्यों के लिए अपने अधिकारों की रक्षा करने का अधिकार है।

अनुच्छेद 130: उच्चतम न्यायालय का मुख्यालय

  • भारतीय उच्चतम न्यायालय का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।

अनुच्छेद 131: संघ और राज्य के बीच विवाद समाधान

  • इस अनुच्छेद में संघ और राज्य सरकारों के बीच होने वाले विवादों को उच्चतम न्यायालय द्वारा सुलझाने का प्रावधान है। यह विवाद केंद्र और राज्यों के बीच उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे संघीय मुद्दे।

अनुच्छेद 132: उच्चतम न्यायालय में अपील

  • यदि किसी व्यक्ति को किसी उच्च न्यायालय के फैसले से असंतोष है, तो वह उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है। इस अनुच्छेद में यह प्रक्रिया निर्धारित की जाती है।

अनुच्छेद 133: उच्चतम न्यायालय में अपील (नागरिक मामले)

  • यह अनुच्छेद उच्चतम न्यायालय में नागरिक मामलों के लिए अपील की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है। यह उन मामलों से संबंधित है जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा कोई आदेश या निर्णय पारित किया जाता है।

अनुच्छेद 134: उच्चतम न्यायालय में अपील (क्रिमिनल मामले)

  • उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए यह अनुच्छेद क्रिमिनल मामलों के लिए संबंधित प्रावधानों को स्थापित करता है।

अनुच्छेद 135: अन्य न्यायालयों का अधिकार

  • उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार है कि वह अन्य न्यायालयों की कार्यप्रणाली और कानूनों की समीक्षा कर सके, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे संविधान और कानून के अनुरूप हैं।

अनुच्छेद 136: उच्चतम न्यायालय की विशेष अनुमति

  • उच्चतम न्यायालय को विशेष मामलों में किसी भी अन्य न्यायालय से दायर अपील की अनुमति देने का अधिकार है।

अनुच्छेद 137: पुनः विचारण का अधिकार

  • उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार है कि वह किसी मामले में पहले दिए गए फैसले पर पुनः विचार कर सके, यदि यह आवश्यक हो।

अनुच्छेद 138: उच्चतम न्यायालय का अधिकार और कार्य

  • उच्चतम न्यायालय को अन्य किसी न्यायालय के फैसले और कार्यों पर कार्यवाही करने का अधिकार है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी न्यायिक कार्य संविधान के तहत सही तरीके से किए जा रहे हैं।

अनुच्छेद 139: उच्चतम न्यायालय को विशेष कार्य का अधिकार

  • उच्चतम न्यायालय को संविधान के तहत विशेष कार्य करने का अधिकार है, जैसे कि किसी विशेष मामले में निर्णय लेने का अधिकार।

अनुच्छेद 140: उच्चतम न्यायालय का अधिकार अन्य न्यायालयों की कार्यप्रणाली के संबंध में

  • उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार होता है कि वह अन्य सभी न्यायालयों के फैसलों, कार्यों और संचालन की निगरानी कर सके, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह संविधान के अनुरूप हो।

अनुच्छेद 141: उच्चतम न्यायालय का निर्णय निर्णायक होता है

  • उच्चतम न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय सभी न्यायालयों के लिए निर्णायक होता है और उन्हें उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करना आवश्यक होता है।

अनुच्छेद 142: उच्चतम न्यायालय द्वारा किया गया आदेश

  • उच्चतम न्यायालय को विशेष आदेश देने का अधिकार होता है, जो संविधान और कानून के तहत उचित होता है।

अनुच्छेद 143: राष्ट्रपति को संविधान के संदर्भ में सलाह

  • राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से संविधान के किसी भी मामले पर सलाह ले सकते हैं, जो राज्य के लिए महत्वपूर्ण होता है।

अनुच्छेद 144: संविधान के अनुसार न्यायिक आदेश

  • न्यायपालिका को संविधान के अनुरूप आदेश और निर्देश देने का अधिकार होता है, जो सभी सरकारों और संगठनों के लिए लागू होते हैं।

अनुच्छेद 145: उच्चतम न्यायालय के नियम

  • उच्चतम न्यायालय को यह अधिकार है कि वह अपनी कार्यवाही के लिए नियम बनाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी कार्य संविधान और न्यायिक प्रक्रिया के तहत किए जाएं।

अनुच्छेद 146: उच्चतम न्यायालय के कर्मचारियों का कार्य

  • उच्चतम न्यायालय के कर्मचारियों का कार्य संविधान के तहत निर्धारित होता है, और इन कर्मचारियों की नियुक्ति, कार्य और दायित्व उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

अनुच्छेद 147: संविधान के अन्य न्यायिक प्रावधान

  • संविधान में न्यायिक व्यवस्था के लिए अन्य आवश्यक प्रावधान दिए गए हैं जो न्यायपालिका की स्वायत्तता और संविधान की सर्वोच्चता को सुनिश्चित करते हैं।

अनुच्छेद 148-151: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक

  • इन अनुच्छेदों के तहत, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कार्यालय की स्थापना और कार्यों को परिभाषित किया गया है। यह अधिकारी सार्वजनिक वित्तीय मामलों की निगरानी और लेखा परीक्षा करते हैं।

अनुच्छेद 148: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) का कार्यालय

  • इस अनुच्छेद के तहत, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) का कार्यालय स्थापित किया जाता है। यह अधिकारी संघ सरकार और राज्य सरकारों के सभी वित्तीय मामलों की समीक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी धन का प्रयोग संविधान और कानून के अनुसार हो।

अनुच्छेद 149: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्तव्यों और अधिकारों का निर्धारण

  • इस अनुच्छेद में यह बताया गया है कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कर्तव्य और अधिकार क्या होंगे। इसके तहत, यह सुनिश्चित किया जाता है कि CAG द्वारा किए गए वित्तीय लेखा परीक्षण और रिपोर्ट संसद को प्रस्तुत किए जाते हैं।

अनुच्छेद 150: संघ सरकार के वित्तीय खातों का रख-रखाव

  • यह अनुच्छेद संघ सरकार के वित्तीय खातों के रख-रखाव के लिए एक सामान्य व्यवस्था प्रदान करता है। इसके तहत, सरकार के सभी वित्तीय रिकॉर्ड और खातों का लेखा-जोखा और लेखा परीक्षा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा की जाती है।

अनुच्छेद 151: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट का प्रसारण

  • इस अनुच्छेद में यह प्रावधान है कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट संसद को प्रस्तुत की जाती है, और इसे सरकार के कार्यों की समीक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह रिपोर्ट विशेष रूप से वित्तीय मामलों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

भाग VI: राज्य (अनुच्छेद 238-241)

  • अनुच्छेद 238 – राज्य का प्रशासन
  • अनुच्छेद 239 – राज्यपाल और केन्द्र सरकार का कार्य
  • अनुच्छेद 240 – राज्य सरकार के कर्तव्य और अधिकार
  • अनुच्छेद 241 – राज्य की आपातकालीन शक्ति

भाग VII: संघ-राज्य संबंध (अनुच्छेद 242-263)

  • अनुच्छेद 242 – राज्य की शक्तियाँ
  • अनुच्छेद 243 – राज्य सरकार के कर्तव्य और अधिकार
  • अनुच्छेद 244 – संघीय और राज्य कार्यों का विभाजन
  • अनुच्छेद 245 – केन्द्र और राज्यों के अधिकार
  • अनुच्छेद 246 – संसद और राज्य विधायिका के अधिकार

भाग VIII: न्यायपालिका (अनुच्छेद 264-299)

  • अनुच्छेद 264 – न्यायपालिका की संरचना
  • अनुच्छेद 265 – उच्च न्यायालयों का गठन
  • अनुच्छेद 266 – उच्च न्यायालयों का कार्य और अधिकार
  • अनुच्छेद 267 – न्यायालयों की कार्यवाही
  • अनुच्छेद 268 – उच्च न्यायालयों के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण
  • अनुच्छेद 269 – अदालतों के अधिकार
  • अनुच्छेद 270 – न्यायाधीशों के विशेष अधिकार
  • अनुच्छेद 271 – उच्च न्यायालयों की कार्यवाही

भाग IX: वित्त (अनुच्छेद 300-313)

  • अनुच्छेद 300 – वित्तीय नीतियों की संरचना
  • अनुच्छेद 301 – वित्तीय प्रबंधन की प्रक्रिया
  • अनुच्छेद 302 – वित्तीय दायित्व का विभाजन
  • अनुच्छेद 303 – वित्तीय विषयों पर संसद का नियंत्रण

भाग X: आपातकालीन प्रावधान (अनुच्छेद 314-323)

  • अनुच्छेद 314 – आपातकाल का निर्माण
  • अनुच्छेद 315 – आपातकालीन कार्रवाई का प्रावधान
  • अनुच्छेद 316 – आपातकाल की अवधि और संचालन

भाग XI: संविधान के संशोधन (अनुच्छेद 324-344)

  • अनुच्छेद 324 – संविधान संशोधन का अधिकार
  • अनुच्छेद 325 – संशोधन की विधियाँ

भाग XII: अनुच्छेद 345-366 (विविध प्रावधान)

  • अनुच्छेद 345 – क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग
  • अनुच्छेद 346 – क्षेत्रीय भाषाओं के संशोधन
  • अनुच्छेद 366 – संगठित प्रावधान
  • अनुच्छेद 366 – संविधान के अंतर्गत विशिष्ट प्रावधानों का निर्धारण
  • अनुच्छेद 367 – संविधान के विभिन्न कार्यों का निर्धारण